Ballia Breaking News Delhi

शोध : बिच्छू के डंक से झटपट राहत देगा काले बिच्छू का जहर

ब्लैक स्कॉपियन का जहर कमाल दिखाने के राह में अग्रसर

बिच्छू के डंक से झटपट राहत देने वाली दवा अब सपना नहीं हकीकत बनने की ओर है. डीडीयू के जूलॉजी डिपार्टमेंट हुए कुछ प्रयोग से काले बिच्छू ( एशियन ब्लैक स्कॉपियन) के जहर से बिच्छू के डंक से जिंदगी बचाने वाली दवा की खोज कर ली गई है. शुरुआत में इसका प्रयोग चूहों पर किया गया है. इसके बाद अब ह्यूमन ट्रायल करने की तैयारी चल रही है.

फास्टिगियस

जूलॉजी डिपार्टमेंट के एचओडी प्रो. रविकांत उपाध्याय के निदेशन में शोध छात्र डॉ. मुकेश कुमार चौबे ने जहर और जहर का उपचार दोनों पर शोध किया है. यह शोध ‘बॉयोकेमिकल एंड एंजाइमेटिक चेंजेज ऑफ्टर ब्लैक स्कॉर्पियन हेटेरोमेट्स फास्टिजियसस कूजजिन एंवेनोमेशन इन एक्सपेरिमेंटल ऐल्बिनो माइस’ नाम से इसे जर्नल ऑफ अप्लाइड टाक्सिकोलॉजी में पब्लिश हुआ है. इसके बाद डीडीयू यूनिवर्सिटी ने भारत सरकार से इसका पेटेंट कराया गया है.

Block Your Lost / Stolen Mobile Phone Visit CEIR
Report Suspected Fraud Communication Visit CHAKSHU
Know Your Mobile Connections Visit TAFCOP
 01 रिर्सच के अनुसार यह खोज भविष्य में विच्यू के डंक से पीड़ित इंसानों के लिए जीवनरक्षक सावित हो सकती है.
02 बिच्छू गोरखपुर, मिर्जापुर और आसपास के क्षेत्रों सहित नमी वाले इलाकों, ईंट-पत्थर के ढेर, खेतों और पठारी क्षेत्रों में आसानी से पाए जाते है. 

अब होगा मानव पर परीक्षण

दोनों शोध अभी चूहाँ पर सफल हुआ है. आगे की योजना इसके ह्यूमन ट्रायल करने की है. अगर यह सफल रहा तो भारत ही नहीं वल्कि पूरी दुनिया में बिच्छू के डंक से होने वाली मौतों को रोकने में मदद मिलेगी मिर्जापुर से मंगाए गए बिच्छूशोध के लिए मिर्जापुर क्षेत्र से काले बिच्छू लाए गए. इस इलाके में ब्लैक स्कॉर्पियन की संख्या अधिक है और उनका जहर खासा शक्तिशाली माना जाता है. बिच्छू गोरखपुर, मिर्जापुर और आसपास के क्षेत्रों सहित नमी वाले इलाकों, ईंट-पत्थर के ढेर, खेतों और पठारी क्षेत्रों में आसानी से पाए जाते है. इनके डंक का असर 20 से 25 मिनट में पूरे ब्लड में सर्कुलेट हो जाता है और असर दिखने लगता है. ग्रामीण इलाकों में समय पर इलाज न मिलने की वजह से मरीजों की हालत गंभीर हो जाती है. कुछ मामलों में मौत भी हो जाती है. ऐसे में यह एंटी-सीरम भविष्य में इन इलाकों के लिए जीवनरक्षक साबित हो सकता है.

चूहों पर किया प्रयोग हुआ सफल

प्रयोग में उन्होंने पहले काले बिच्छू विष ग्रथियों से टॉक्सिन निकाला और उसका परीक्षण चूहों पर किया. चूहों में जहर का असर तेजी से देखा गया. उनके खून में ग्लूकोज, यूरिक एसिड, प्रोटीन और पंजाइम्स का स्तर बदल गया. लेकिन जब इन्हीं टॉपिसन्स से तैयार किया गया एंटी-सीरम दिया गया तो जहर का प्रभाव धीरे-धीरे कम हो गया और वे सामान्य अवस्था में लौट आए.

दो पेटेंट की मिली उपलब्धि

शोध में एशियन ब्लैक स्कॉर्पियन के जहर ग्रंथियों से विषैले तत्व ( वेनम टॉक्सिन) निकाले गए. इन टॉक्सिन्स को सुरक्षित तरीके से अलग करके शुद्ध प्रतिजनों (एंटीजन्स) के रूप में तैयार किया गया. एंटीजन खोजने के लिए पहला पेटेंट कराया गया. दूसरे चरण में इन्हीं एंटीजन से एंटी सीरम (एंटीबॉडी सीरमः एंटी एवं एफ-ए।) तैयार किया गया.

प्रो. रविकांत ने बताया कि जहर और एंटीसीरम दोनों का चूहो पर प्रयोग किया गया. चूहो में डंक लगने के आधे घंटे के भीतर असर दिखाना शुरू हो जाता है और एंटीसीरम देने पर दो घंटे में राहत पहुंचा सकता है. रिर्सच के अनुसार यह खोज भविष्य में बिच्छू के डंक से पीडित इंसानों के लिए जीवनरक्षक साबित हो सकती है.

इनसेट:

यह शोधकार्य हेल्थ क्षेत्र में काफी महत्वपूर्ण हो सकता है. चूहों पर जहर को इजेक्टर करने और एंटीसीरम देकर असर देखा गया. चूहों पर पॉजीटिव असर दिखा है. इस रिसर्च से हमें विष के प्रभाव को समझने और उसके एंटीसीरम विकसित करने की नई संभावनाएं मिली हैं, जो भविष्य में कई जिंदगियां बचा सकती हैं.

प्रो. रविकांत उपाध्याय, एचओडी जूलॉजी डिपार्टमेंट डीडीयू

इस एंटी-सीरम को जल्द से जल्द ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में उपलब्ध कराने पर आसानी से कम समय में जान बचाई जा सकती है. चूहों पर किया गया प्रयोग पूरी तरह से सफल पाया गया है. आगे अवसर मिलने पर मनुष्यों पर ट्रायल किया जाएगा.

डॉ. मुकेश चौबे, सहायक प्रोफेसर एवं रिसर्चर, नेशनल पीजी कॉलेज, बड़हलगंज, गोरखपुर

Enjoy Live Vivid Bharti
Click here for more live radio
Advertisement
7007809707 for Ad Booking
Enjoy Live Mirchi Top 20
Click here for more live radio
Advertisement
9768741972 for Hosting Service
Enjoy Live Bhojpuri Songs
Click here for more live radio

कृपया हमारे वेबसाइट को आगे बढ़ाने के लिए डोनेट करें
donate
donate
Please donate to support our work
Pradeep Gupta
Turns chaos into clarity.