
न्यायालय के संबंध में चलताऊ संबोधन करने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बलिया के पुलिस अधीक्षक ओमवीर सिंह को फटकार लगायी
प्रयागराज: भाषा की मर्यादा भूल न्यायालय के संबंध में चलताऊ संबोधन करने पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बलिया के पुलिस अधीक्षक ओमवीर सिंह को फटकार लगाई. कोर्ट ने एसपी बलिया के हलफनामे की भाषा पर नाराजगी जताते हुए तीन दिन के भीतर नया और बेहतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया. अदालत ने कहा कि सरकारी अधिकारियों को न्यायालय की गरिमा का ध्यान रखते हुए मर्यादित भाषा का प्रयोग करना चाहिए.
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न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने 2 मई, 2025 के अपने आदेश के अनुपालन में दाखिल किए गए व्यक्तिगत हलफनामे की समीक्षा करते हुए यह टिप्पणी की. न्यायालय ने हलफनामे के पैरा 5 से 10 में प्रयुक्त शब्दों को अनुचित और असम्मानजनक करार दिया. हलफनामे में एसपी ने यह कहा था कि उन्हें तहसीलदार, रसड़ा, बलिया से अतिक्रमण हटाने हेतु कोई अनुरोध प्राप्त नहीं हुआ.
साथ ही उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि वह “किसी भी अदालत” के किसी भी आदेशों का पालन करने को हमेशा तैयार रहते हैं. अदालत ने ‘किसी भी अदालत’ जैसे शब्दों के इस्तेमाल पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि न्यायालय एक सम्मानित संस्था है और उसे इस प्रकार साधारण संदर्भ में नहीं लिया जा सकता. कोर्ट ने इस बात पर भी आपत्ति जताई कि बार-बार यह दोहराया गया कि तहसीलदार से कोई अनुरोध नहीं मिला. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि तहसीलदार एक राजस्व अधिकारी हैं और एसपी के अधीनस्थ नहीं हैं. उन्हें सिर्फ मांग पत्र भेजना होता है, आदेश की प्रतीक्षा करना आवश्यक नहीं.
कोर्ट ने कहा कि पुलिस अधीक्षक का रुख संतोषजनक नहीं है और यह भी उल्लेखनीय है कि संबंधित प्राथमिकी अदालत के आदेश के एक दिन बाद दर्ज की गई, जिसे किसी अच्छे प्रशासनिक कार्य के रूप में नहीं देखा जा सकता. कोर्ट ने रजिस्ट्रार (अनुपालन) को निर्देश दिया है कि यह आदेश 24 घंटे के भीतर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, बलिया के माध्यम से पुलिस अधीक्षक तक पहुंचा दिया जाए. अगली सुनवाई 9 मई, 2025 को नियत की.
तहसीलदार एक सहायक कलेक्टर हैं, वह एसपी के अधीन नहीं
न्यायालय ने एसपी के इस बात पर भी आपत्ति जताई कि पुलिस बल के लिए तहसीलदार से कोई अनुरोध नहीं मिला। कोर्ट ने कहा कि तहसीलदार एक सहायक कलेक्टर हैं और वह राजस्व विभाग में राज्य का एक अधिकारी होता है। वह एसपी के अधीन नहीं हैं। अगर तहसीलदार अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई करने जा रहा है तो वह एसपी को एक मांग पत्र के माध्यम से इसकी जानकारी देगा। एसपी को स्वयं यह आकलन करना होगा कि उक्त कार्रवाई के लिए कितने पुलिस बल की आवश्यकता है। ताकि बेदखली आदेश का पालन करने के लिए राज्य को शर्मिंदगी न उठानी पड़े।
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