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कोर्ट न्यूज: हिंदी मातृभाषा के अलावा आत्मबोध करने की भी भाषा : जिला जज

हिंदी पखवारा दिवस के समापन पर जिला जज अनिल कुमार झा ने किया उद्बोधन*

विधि संवाददाता

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बलिया: हिंदी मात्र केवल भाषा ही नहीं बल्कि हमारी संस्कृति, सभ्यता और पहचान का प्रतीक है। भारत में सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा है यही नहीं हिंदी दिवस हमे अपनी भाषा पर गर्व करने और अंतरात्मा की आवाज बनाने हेतु हमें गर्व के साथ अधिक से अधिक प्रसार पर बढ़ावा देना चाहिए। जिससे हिंदी की अक्षुण्ता बरकरार रह सके। यह उदगार जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनिल कुमार झा ने हिंदी पखवारा दिवस के समापन पर जिला विधिक एवं प्राधिकरण द्वारा आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किया। इससे पूर्व जिला जज श्री झा ने न्यायिक अधिकारी,अधिवक्ता कर्मचारी तथा टी.डी कॉलेज एवं अन्य प्राध्यापकों संग मिलकर मां सरस्वती के चित्र पर दीप प्रज्जवलित कर एवं माल्यार्पण करते हुए उदघाटन किया।

इससे पूर्व अपर जिला जज प्रथम पुनीत कुमार गुप्ता व पर्यावरणविद /प्राध्यापक भूगोल डॉ. गणेश पाठक ने भी हिंदी के आवश्यकता पर विशेष जोर देते हुए हिंदी के ऐतिहासिक, संवैधानिक एवं वर्तमान महत्व को समझाया । इसी क्रम में अधिवक्ता अखिलेश सिंह, टी डी कॉलेज के संगीत के प्राध्यापक अरविंद उपाध्याय तथा डॉ कुमार विनोद ने कविता एवं गीत के माध्यम से सुनाकर खूब वाहवाही लूटी।

इस कार्य क्रम में समस्त न्यायिक अधिकारी गण कर्मचारी गण,अधिवक्ता एवं सिविल बार एसोसिएशन के अध्यक्ष देवेंद्र कुमार दूबे तथा साहित्यकार गण उपस्थित रहे। सबसे अंत में हिंदी अधिकारी अपर जिला जज चतुर्थ ज्ञानप्रकाश तिवारी ने कार्यक्रम के लिए सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। संचालन अशोक कुमार ओझा ने किया।

*त्रिभुवन नाथ यादव एडवोकेट*


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