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बलिया सिविल कोर्ट में फिर से लौटी रौनक, मूल परिसर में वापस आया सिविल व फैमिली कोर्ट


बलिया। वर्षों के संघर्ष और निरंतर मांग के बाद आखिरकार बलिया के अधिवक्ताओं को बहुत बड़ी जीत मिली है। परिवार न्यायालय एवं सिविल न्यायालय को जिला एवं सत्र न्यायालय (विस्तार) से हटाकर पुनः मूल जिला एवं सत्र न्यायालय, बलिया में संचालित किए जाने का आदेश जारी हो गया है। इस फैसले को न्यायिक इतिहास में एक ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है।

इस महत्वपूर्ण निर्णय के उपलक्ष्य में 15 दिसंबर 2025 को पूर्वाह्न 11 बजे क्रिमिनल एंड रेवेन्यू बार एसोसिएशन, बलिया के सभागार में क्रिमिनल एंड रेवेन्यू बार एसोसिएशन एवं दि सिविल बार एसोसिएशन की संयुक्त बैठक आयोजित हुई। बैठक में अधिवक्ताओं ने इसे अधिवक्ता हित और न्यायिक व्यवस्था को मजबूत करने वाला फैसला बताया।

बैठक में जानकारी दी गई कि जनपद न्यायाधीश बलिया अनिल कुमार झा के सहयोग से माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद के माननीय मुख्य न्यायाधीश/न्यायमूर्ति द्वारा यह आदेश पारित किया गया। इस सफलता के पीछे क्रिमिनल बार अध्यक्ष देवेंद्र नाथ मिश्र एवं सिविल बार अध्यक्ष देवेंद्र कुमार दुबे के नेतृत्व में चला लंबा, संगठित और सतत संघर्ष निर्णायक साबित हुआ।

वक्ताओं ने कहा कि विस्तार न्यायालय के कारण अधिवक्ताओं और वादकारियों को गंभीर व्यावहारिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था। लगातार संवाद, आंदोलन और संघर्ष के जरिए न्यायालय प्रशासन का ध्यान इस समस्या की ओर आकृष्ट कराया गया, जिसका सकारात्मक परिणाम अब सामने आया है।

बैठक का संचालन संयुक्त रूप से भूपेंद्र कुमार सिंह (महासचिव, क्रिमिनल एंड रेवेन्यू बार) एवं अजय कुमार पांडेय (महासचिव, सिविल बार) ने किया। बैठक के बाद अधिवक्ताओं में जबरदस्त उत्साह देखा गया और जनपद न्यायाधीश तथा माननीय उच्च न्यायालय के प्रति आभार जताते हुए जयकारे लगाए गए।

दोनों बार एसोसिएशन के अध्यक्षों ने स्पष्ट किया कि 01 जनवरी 2026 से जिला एवं सत्र न्यायालय विस्तार, बलिया (नई बिल्डिंग) में केवल मोटर क्लेम न्यायालय संचालित होगा, जबकि शेष सभी न्यायालय अब मूल जिला एवं सत्र न्यायालय परिसर में ही चलेंगे। इससे अधिवक्ताओं के साथ-साथ आम जनता और वादकारियों को बड़ी राहत मिलेगी।

इस अवसर पर शक्ति सिंह, आनंद सिंह, संजीव कुमार बाबा, शशि सिंह, मुलायम यादव, विवेक सिंह, विष्णु गुप्ता सहित अधिवक्ताओं ने बधाई दी। साथ ही अशोक कुमार सिंह (पूर्व अध्यक्ष), अधिवक्ता अवधेश कुमार तिवारी, पंकज कुमार गुप्ता, अशोक कुमार वर्मा समेत बड़ी संख्या में वरिष्ठ व कनिष्ठ अधिवक्ता मौजूद रहे।

बलिया कोर्ट का यह फैसला सिर्फ अधिवक्ताओं की जीत नहीं, बल्कि न्याय को अधिक सुगम, प्रभावी और जनहितकारी बनाने की दिशा में एक बड़ा और निर्णायक कदम है।

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