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बलिया बलिदान दिवस पर स्वतंत्रता सेनानियों को नमन, तीन मंत्रियों ने किया भव्य कार्यक्रम का शुभारंभ

तीन मंत्रियों की मौजूदगी में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को किया गया सम्मानित

बलिया बलिदान दिवस पर दिखाई गई 1942 की डॉक्यूमेंट्री

बलिया बलिदान दिवस पर संस्कृति, इतिहास और सम्मान का संगम; मंच पर दिखी बागी धरती की गूंज

बलिया। बलिया में बलिदान दिवस के अवसर पर प्रभारी मंत्री दयाशंकर मिश्र दयालु व परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने गंगा बहुद्देशीय सभागार में मंगलवार को दीप प्रज्वलित व मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। साथ ही तीनों मंत्रियों ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राम विचार पाण्डेय एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के 49 परिवारों को साल एवं किचन सेट देकर सम्मानित किया गया, और 19 अगस्त 1942 की बलिया बलिदान दिवस की डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी दिखाई गई।

प्रभारी मंत्री दयाशंकर मिश्र दयालु ने बलिया की माटी को श्रद्धा पूर्वक नमन करते हुए स्वतंत्रता संग्राम के वीरों को याद किया। बच्चों द्वारा प्रस्तुत किए गए सांस्कृतिक कार्यक्रम में उन्होंने 1857 की क्रांति से लेकर 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन तक के बलिया के योगदान को रेखांकित किया।

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मंत्री ने कहा,“अगर 1857 की क्रांति सफल हो जाती, तो आज इतिहास कुछ और होता। लेकिन जब 1942 में महात्मा गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की, तब बलिया देश का वह पहला जिला बना, जिसने अंग्रेजी हुकूमत को 14 दिनों तक सत्ता से बाहर कर दिया। यह माटी मंगल पांडेय, चिंत्तू पांडेय, कुंवर सिंह, महानंद मिश्रा और मां गायत्री देवी जैसी विभूतियों की है।” उन्होंने आगे कहा कि बलिया न केवल स्वतंत्रता संग्राम में बल्कि स्वतंत्र भारत में लोकतंत्र के हनन के विरुद्ध भी अग्रणी भूमिका में रहा है। “यह वह भूमि है, जहां हर बार जब देश ने पुकारा, बलिया ने बलिदान दिया। आज भी 1942 की घटनाएं एक-एक दिन की तरह जीवंत हो उठीं,” उन्होंने कहा। कार्यक्रम में बच्चों द्वारा प्रस्तुत की गई नाट्य और सांस्कृतिक झांकियों की प्रशंसा करते हुए मंत्री ने कहा कि “ऐसे मंचन हमें हमारे इतिहास से जोड़े रखते हैं। आज का कार्यक्रम मानो स्वतंत्रता संग्राम के दिनों को फिर से जीवंत कर गया। बच्चों ने जो जोश और भावनात्मक प्रस्तुति दी, वह अद्वितीय थी।” उन्होंने प्रशासन और आयोजकों को बधाई देते हुए कहा कि यह प्रयास नई पीढ़ी को अपने गौरवशाली इतिहास से जोड़ने का एक सराहनीय कदम है। उन्होंने उपस्थित स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों को भी नमन किया और कहा कि उनका होना आज की पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। मंत्री ने एक प्रेरणादायक पंक्ति के माध्यम से अपने उद्बोधन का समापन किया। “क्या यूं ही मंजिलें मिलती हैं, लाखों चिराग जले तब जाकर सुबह आई है।

परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने कहा कि बलिया की ऐतिहासिक भूमिका और स्वतंत्रता संग्राम में दिए गए बलिदानों को याद करते हुए कई महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं। मंत्री ने बताया कि बलिया का गौरवशाली इतिहास अब केवल प्रतीकात्मक कार्यक्रमों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि उसे भव्य और स्थायी स्मारकों के माध्यम से आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाया जाएगा। उन्होंने कहा कि “चार वर्षों से जब से मैं बलिया का जनप्रतिनिधि बना हूं, तब से मैंने देखा कि बलिदान दिवस पर सिर्फ एक प्रतीकात्मक जेल का फाटक खोला जाता था और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को सम्मानित कर टाउन हॉल ले जाया जाता था। लेकिन 19 अगस्त 2022 को जब मा0 मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बलिया आए, तो मैंने उनसे निवेदन किया कि बलिया की इस महान क्रांति को स्थायी स्वरूप दिया जाए। साथ ही 19 अगस्त 2022 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बलिया में मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास किया, और साथ ही चिंटू पांडे स्मृति संस्थान के लिए भी दो एकड़ भूमि आवंटित की गई है। इस स्थल पर क्रांतिकारियों की स्मृतियों को सहेजने का कार्य किया जाएगा, ताकि नई पीढ़ी को बलिया की विरासत से प्रेरणा मिल सके।

दयाशंकर सिंह ने बलिया के योगदान को याद करते हुए कहा, “चिंटू पांडे वो क्रांतिकारी थे, जिन्होंने आजादी का पहला उद्घोष किया था। उनके नाम पर बनने वाला स्मृति स्थल हमारी संस्कृति और इतिहास को सहेजने का केंद्र बनेगा।”उन्होंने कहा कि बलिया में ₹40 करोड़ की लागत से एक ग्रीनफील्ड परियोजना विकसित की जा रही है, जो आने वाले समय में बलिदान दिवस को और भी भव्य बनाने में सहायक होगी। उन्होंने घोषणा की कि 2026 में बलिया बलिदान दिवस का आयोजन पहले से भी अधिक ऐतिहासिक और शानदार रूप में किया जाएगा।

मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने कहा कि “पिछले तीन घंटे से जो हमने देखा, सुना, अनुभव किया वह अद्भुत था। बच्चों ने जिस मेहनत और समर्पण से प्रस्तुति दी, वह सराहनीय है। उनके शिक्षकों का भी हृदय से आभार जो इस कार्यक्रम को इस स्तर तक ले आए। उन्होंने बलिया की ऐतिहासिक और क्रांतिकारी पहचान पर बल देते हुए कहा कि जब भी दुनिया में कोई हमारा परिचय पूछता है, तो सबसे पहले हम गर्व से कहते हैं कि हम “बागी बलिया” के निवासी हैं। उन्होंने कहा यह केवल एक पहचान नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी है। इस मिट्टी में जन्म लेना सौभाग्य की बात है, और इस मिट्टी का कर्ज हमें अपने कर्मों से चुकाना होगा। साथ ही मंत्री ने तहसील बैरिया, सिकंदरपुर और बलिया की अन्य तहसीलों का विशेष उल्लेख करते हुए कहा कि हर क्षेत्र की अपनी क्रांतिकारी कहानी है। बलिया की धरती ने हमेशा भारत को दिशा दी है चाहे वह स्वतंत्रता संग्राम हो, राजनीति हो या समाज सुधार का आंदोलन हो, और बलिया की महिलाओं की भूमिका की सराहना करते हुए कहा जब क्रांति का समय आया, तब महिलाओं ने घर में जो मिला, उसी को हथियार बना लिया। उनके साहस और बलिदान के बिना बलिया का बलिदान अधूरा होता। उन्होंने ग्रामीण जनता को भी नमन किया जिन्होंने बिना किसी नेतृत्व के, अपने साहस और संकल्प से इतिहास रच दिया। उन्होंने बच्चों की प्रस्तुति को “पूरी ईमानदारी और देशभक्ति से परिपूर्ण” बताते हुए कहा कि इस प्रकार के सांस्कृतिक मंचन से युवा पीढ़ी अपने गौरवशाली अतीत से जुड़ती है। उन्होंने कहा कि आज जो भी संदेश इन कार्यक्रमों से निकला है, वह केवल एक संवाद नहीं, बल्कि गहराई से सोचने और समझने का विषय है। उन्होंने कहा कि बलिया की यह परंपरा आज भी लोगों को प्रेरित कर रही है और भविष्य में भी यह धरती देश को दिशा देती रहेगी। जय हिंद! भारत माता की जय!” के नारों के साथ कार्यक्रम का वातावरण राष्ट्रभक्ति से गूंज उठा।

बच्चों की प्रस्तुति से भावविभोर हुए मंत्री, 06 टीमों को 11-11 हजार रुपए से किए पुरस्कृत

बलिया बलिदान दिवस के अवसर पर गंगा बहु देसी सभागार में विद्यालय के छात्र-छात्राओं द्वारा देशभक्ति गीत एवं चित्तू मंगल पांडेय पर नाटक प्रस्तुत किया गया जिसमें सरस्वती वंदना/नित्य सनबीम स्कूल अगरसंडा, देश भक्ति गीत तेरी मिट्टी में मिल जावा राजकीय बालिका इंटर कॉलेज बलिया, गुलाब देवी बालिका इंटर कॉलेज बलिया, द होराइजन स्कूल गड़वार, महर्षी वाल्मिकी विद्यालय काजीपुर बलिया एवं संकल्प साहित्य सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्थान के द्वारा गीत नाटक प्रस्तुत किया गया, जिस पर तीनों मंत्रियों ने 06 टीमों को 11000-11000 रुपए पुरस्कार देकर सम्मानित किया। इस कार्यक्रम में जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह, पुलिस अधीक्षक ओमवीर सिंह, सीडीओ ओजस्वी राज, सीआरओ त्रिभुवन सिंह, जिलाध्यक्ष संजय मिश्रा, नगर पालिका परिषद अध्यक्ष संत कुमार गुप्ता उर्फ मिठाई लाल, डीडीओ, स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी रामविचार पाण्डेय एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिवार एवं महिला आयोग के सदस्य सुनीता सिंह, जयप्रकाश साहू, विभिन्न विद्यालय के छात्र-छात्राओं आदि उपस्थित रहे।


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